केंद्र की तरफ से पंजाब में माल गाड़ियों के आने पर रोक लगा रखी है। जिससे कोयले की सप्लाई न होने के चलते थर्मल प्लांट बंद चल रहे हैं। इसका असर गेहूं की बुआई में दिख रहा है। खाद्य की सप्लाई माल गाड़ियों पर निर्भर होने के कारण यूरिया और डीएपी का संकट बनने के आसार बन गए हैं। जिले में अब तक केवल एक-एक रैक ही यूरिया और डीएपी का स्टॉक है। जाे करीब 18 प्रतिशत और 30 प्रतिशत के करीब है। जिले में 2 लाख 30 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई होती है और नवंबर के पहले सप्ताह में गेहूं की बुआई शुरू होने जा रही है। ऐसे में खाद्य का स्टॉक न होने के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 43000 मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत गेंहू की बिजाई के समय हाेती है, उसके मुकाबले केवल 5800 मीट्रिक टन यूरिया मौजूद है। इसी तरह बुआई के लिए 21000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत हाेती है। पर जिले में मौजूदा स्टाक 30 प्रतिशत के करीब है। अभी 14700 मीटि्रक टन डीएपी की जरूरत है।
किसान आंदोलन के दौरान किसान जत्थेबंदियों ने ज़रूरी वस्तुओं की ढुलाई के लिए रेलवे ट्रैक खाली कर दिए हैं। उसके बाद भी केंद्र की तरफ से रेलवे ट्रैक की सुरक्षा की शर्त लगाकर माल गाड़ियों के पंजाब में अाने पर राेक लगा दी है। जिसका खामियाजा किसानों, व्यापारियों और रेल ट्रांसपोर्ट से जुड़े वर्गों को उठाना पड़ रहा है।
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