सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा के उस तर्क को रद्द कर दिया जिसमें उसने कहा था कि स्कॉलरशिप घोटाले और तारकोल घोटाले, कोई तुलना नहीं है। कैप्टन ने कहा कि भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार है चाहे किसी भी रूप में हो। उनकी पिछली सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे बाजवा पर लगे तारकोल घोटाले के इल्जाम भी उतने ही गंभीर थे जितने स्कॉलरशिप मामले में अब लग रहे हैं।
वह उस समय भी उतनी ही गैर-जिम्मेदारी के साथ काम लेते जैसे कि बाजवा अब उनसे उम्मीद करते हैं, तो उन्होंने उस समय के मंत्री को बिना निष्पक्ष जांच-पड़ताल के बेबुनियाद इल्जामों के आधार पर बर्खास्त कर देना था। उन्होंने कथित स्कॉलरशिप घोटाले की जांच की जिम्मेदारी सीएस को सौंपने का फैसला किया क्योंकि मंत्री और सामाजिक कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, जिसकी आंतरिक रिपोर्ट मंत्री के खिलाफ आधार बनी में असहमति थी।
बाजवा ने कहा था...दोनों मामलों में कोई समानता नहीं
तारकोल घोटाले को लेकर राज्य सभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा था कि 16 साल पुराने 5 मंत्रियों से जुड़े तारकोल घोटाले और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले में कोई समानता नहीं है। इंजीनियरिंग विंग पीडब्ल्यूडी, पुडा, मंडी बोर्ड, नगर निगम लुधियाना और पीएसआईईसी (उद्योग मंत्रालय) के साथ जुड़ा तारकोल घोटाला 1997 से 2002 में अकाली सरकार के समय में हुआ था।
दूलों की बातों की भी सीएम ने निंदा की
उन्होंने राज्य सभा मेंबर शमशेर सिंह दूलों की इन बातों की भी निंदा की कि मुख्य सचिव की जांच के नतीजों का इंतजार किए बिना वह कथित घोटाले में सीबीआई जांच करवाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने बाजवा और दूलों पर पार्टी विरोधी कार्यवाहियां करने के लिए बरसे। कैप्टन ने आम आदमी पार्टी द्वारा सीएस से जांच को रद्द करने के रवैए को नकारते हुए बेतुका और तर्कहीन करार दिया। कहा- आम आदमी पार्टी को तो बहुत पहले ही लोग नकार चुके हैं।
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