Saturday, 31 October 2020

मेडिकल की पढ़ाई की, साइंस की टीचर लगी और अब इकोनॉमिक्स पढ़ाएगी

(गौरव भाटिया) गुरप्रीत कौर (बदला हुआ नाम) ने 1992 में यूटी एजुकेशन डिपार्टमेंट में बतौर साइंस टीचर नौकरी जॉइन की। 28 साल से गवर्नमेंट स्कूल में 9वीं-10वीं के स्टूडेंट्स को साइंस पढ़ा रही हैं, लेकिन अब 11वीं-12वीं के स्टूडेंट्स को इकोनाॅमिक्स पढ़ाएंगी।

खास बात है कि उन्होंने खुद 11वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन में इकोनाॅमिक्स पढ़ी ही नहीं है। गुरप्रीत अकेली नहीं हैं, बल्कि इनके जैसे 101 टीचर हैं। इन्होंने न तो ग्रेजुएशन और न बीएड में वे सब्जेक्ट्स पढ़े, जिन्हें अब पढ़ाना होगा।

यह सब कुछ अब इसलिए होगा, क्योंकि एजुकेशन डिपार्टमेंट 101 टीचर्स को प्रमोट करने जा रहा है। इन टीचर्स को टीजीटी से पीजीटी यानी लेक्चरर बनाया जा रहा है। इस मामले में कॉमर्स की एक टीचर ने कैट में याचिका दायर की और कैट ने इस पर स्टे दे दिया। बुधवार को ही एजुकेशन डिपार्टमेंट ने 101 टीचर्स की प्रमोशन लिस्ट में से कॉमर्स के टीचर्स को प्रमोट करने पर रोक लगा दी।

पुराने ढर्रे के नियमों को नहीं बदला गया...

एजुकेशन डिपार्टमेंट ने 1991 में भर्ती के नियम बनाए। इन नियमों के तहत अगर किसी टीचर ने किसी सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुएशन की है तो वह उस सब्जेक्ट में पीजीटी बन सकता है। नियमों में यह नहीं लिखा गया कि जिस सब्जेक्ट में उसे प्रमोट किया जाना है, वह सब्जेक्ट उसने ग्रेजुएशन और बीएड में भी पढ़ा हो।

यही वजह है कि एक टीचर जिसने खुद 11वीं, 12वीं मेडिकल में की, फिर बीएससी की और बाद में एमएससी कर ली। इस टीचर ने साइंस पढ़ाना शुरू कर दिया और कायदे से यही बनता था, लेकिन जॉब के साथ में कॉरेस्पॉन्डेंस एमकाॅम कर ली।

अब वे 11-वीं-12वीं काे काॅमर्स पढ़ाएंगी। बड़ा सवाल यह है कि जब टीचर ने स्कूल और ग्रेजुएशन लेवल पर खुद कॉमर्स नहीं पढ़ी। सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएशन के दम पर वे कैसे 11वीं-12वीं के स्टूडेंट्स को कॉमर्स पढ़ाएंगी।

चंडीगढ़ एजुकेशन के दोहरे मापदंड...

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने नियम बनाए और चंडीगढ़ प्रशासन ने उसे 2001 में फॉलो किया। इनके तहत अगर टीचर के पास बीएड में वह सब्जेक्ट नहीं है, जो पोस्ट ग्रेजुएशन मे है तो वह उस सब्जेक्ट में नौकरी नहीं हासिल कर सकता।

एजुकेशन डिपार्टमेंट ने अपने नियमों में यह लिख दिया कि अगर भर्ती होगी तो उस सब्जेक्ट में टीचर की पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ यह भी देखा जाएगा कि उसने बीएड में वह सब्जेक्ट पढ़ा या नहीं। हालांकि जब बात प्रमोशन की आती है तो बीएड को दरकिनार किया जाता है और सिर्फ यह देखा जाता है कि पोस्ट ग्रेजुएशन की है।

डिग्री लेने के ये नियम...

नियमों के मुताबिक अगर किसी ने एक पोस्ट ग्रेजुएशन की है तो दूसरी पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए जरूरी नहीं कि वह सब्जेक्ट ग्रेजुएशन में पढ़ा हो। इसी वजह से टीचर्स ने एक से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएशन की है, लेकिन यूनिवर्सिटी डिग्री देते हुए यह नहीं कहती कि डिग्री लेने वाला बतौर टीचर पढ़ा सकता है।

चंडीगढ़ ने नहीं बदले नियम: 2018 में पंजाब में कई टीचर्स प्रमोशन लेकर कॉमर्स लेक्चरर बन रहे थे, जिन्होंने बीकाॅम नहीं की लेकिन एमकाॅम कर ली। पंजाब सरकार ने नियम बना दिया कि बीएड में संबंधित सब्जेक्ट पढ़ा होना चाहिए, जिसमें कि वे लेक्चरर लगना चाहते हैं। लेकिन चंडीगढ़ ने इसे फॉलो नहीं किया।

मौके का फायदा उठाते टीचर्स:
साइंस टीचर इकोनॉमिक्स में इसलिए लेक्चरर बनने के लिए तैयार हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि साइंस में प्रमोशन की सीट नहीं है। ऐसे में वे उस सब्जेक्ट में अपना नाम डाल देते हैं, जिसमें एमए की हो। कई ऐसे हैं, जिन्होंने एक से ज्यादा एमए की है।

हम 1991 के रिक्रूटमेंट रूल्स के हिसाब से चल रहे हैं। जिस सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुएशन की है, उसमें टीचर लग सकता है। जरूरी नहीं कि वह सब्जेक्ट उसने ग्रेजुएशन में पढ़ा हो। इसी वजह से बिना बीकॉम किए टीचर्स ने एमकॉम की है और वह कॉमर्स के स्टूडेंटस को पढ़ाएंगे।
आरएस बराड़, डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन



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