ट्यूशन फीस के साथ दूसरे चार्जेज भी वसूलने की मांग करने वाले चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों की संस्था के प्रस्ताव को चंडीगढ़ प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया है। सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशासन की तरफ से कहा गया कि प्राइवेट स्कूलों के प्रस्ताव को प्रशासन ने खारिज कर दिया है और प्रशासन अपने निर्देशों पर कायम है। इस पर जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया ने मामले पर 14 सितंबर के लिए अगली सुनवाई तय की है।
प्राइवेट स्कूलों के संस्था इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन की तरफ से प्रस्ताव में कहा गया था कि फीस न देने वाले बच्चों का नाम स्कूल से काटने की छूट दी जाए। एसोसिएशन ने प्रस्ताव में लिखा है कि 8 जून 2020 को लॉकडाउन खत्म हो गया था। हम इस एकेडेमिक ईयर में वही फीस लेंगे जो 2019-20 में लेते थे। स्कूलों की पेरेंट्स के प्रति सहानुभूती रहेगी अौर जो पेरेंट्स फीस जमा नहीं करवा पा रहे, वे 31 अगस्त तक एप्लीकेशन दे सकते हैं।
स्कूल उस एप्लीकेशन के आधार पर यह फैसला करेंगे कि फीस में कितनी छूट दी जानी चाहिए। हर महीने की 15 तारीख तक अगर स्टूडेंट की फीस जमा नहीं हुई तो स्कूल स्टूडेंट का नाम काट देंगे। एजुकेशन डिपार्टमेंट को डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत जारी किए आदेश को वापस लेना होगा। 18 मई और 3 जून को यह आॅर्डर जारी किए गए थे। चंडीगढ़ प्रशासन फीस के मामले में स्कूलों के खिलाफ मौजूदा एकेडेमिक सेशन में कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
प्रशासन के निर्देश
कोरोना की वजह से अभिभावकों को वित्तिय मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है, इसलिए चंडीगढ़ प्रशासन ने प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए थे कि वह सेशन 2020-21 में फीस न बढ़ाएं। अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फीस लें, लेकिन ट्यूशन फीस मंथली बेसिस पर होनी चाहिए। आदेशों में यह भी लिखा था कि फीस न देने पर किसी का नाम न काटा जाए और न ही ऑनलाइन क्लासेज से वंचित रखा जाए।
यह है मामला...
लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूलों को फीस न बढ़ाने और केवल ट्यूशन फीस लेेने के आदेश दिए गए थे। इन आदेशों को प्राइवेट स्कूलों की संस्था इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन नेे हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
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