Saturday, 31 October 2020

पीजीआई से एक साथ रिटायर हुए तीन डॉक्टर, इस दौरान के उनके अनुभव और जिंदगी से जुड़े किस्से...

प्रो. अनिल भंसाली: इंडोक्रायोनोलाॅजी डिपार्टमेंट में 33 साल सेवाएं दीं और 17 साल तक इस डिपार्टमेंट का एचओडी रहा। संभवत: सबसे लंबी हेडशिप रही। हालांकि, अब रिटायर होने के बाद एक साल की एक्सटेंशन मिल गई है। भारत सरकार की ओर से मुझे जो एक्सटेंशन दी गई है, इस दौरान बचे हुए कामों को पूरा करने की कोशिश करूंगा। अपने 33 साल के काम से संतुष्ट हूं। स्टेम सेल थैरेपी के जरिए डायबिटीज का इलाज ढूंढा।

हिंदुस्तान में पहली बार पीजीआई में इस थैरेपी से डायबिटीज का इलाज शुरू किया गया। इसमें डायबिटीज से पीड़ित मरीज के स्टेम सेल निकालकर उनके पेंक्रियाज में इंजेक्ट करते हैं। स्टेम सेल पेंक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं की कार्यक्षमता को बढ़ा देते हैं। इससे शरीर में शुगर की मात्रा सामान्य हो जाती है और डायबिटीज कंट्रोल हो जाती है। इस तकनीक से सैंकड़ों को लोग ठीक हुए।

इस दिशा में अभी और काम करने की आवश्यकता है, जो एक्सटेंशन मिली है, इस अवधि में इस पर आगे और नया करने की कोशिश जारी रहेगी। इंडोक्रायोनोलाॅजी में 500 से अधिक पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। जो इस फील्ड में सबसे अधिक माने जाते हैं। अगर आप 10 हजार स्टेप रोजाना पैदल चलते हैं और आधा घंटा एक्सरसाइज करते हैं तो डायबिटीज समेत अन्य बीमारियों से बचे रह सकते हैं।

1986 में किया था पीजीआई जॉइन...
1986 में जब मैंने पीजीआई जॉइन किया तो मैं उस समय अकेला फेकल्टी मेंबर था। मेरी देखरेख में डिपार्टमेंट बढ़ा। सात फेकल्टी और 10 रेजिडेंट्स डॉक्टर जुड़े। इन सभी डॉक्टर्स को डायबिटीज से जुड़ी विभिन्न बीमारियों एक्सपर्टीज के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम हुए। आज पीजीआई के इंडोक्रायोनोलाॅजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स की पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी है।

जहां तक ओपीडी का सवाल है तो 1986 में जब मैं अकेला था तो उस समय भी रात 9 बजे तक ओपीडी चलती थी। आज जब पूरा डिपार्टमेंट है तब भी रात 8 बजे तक ओपीडी चलती है। इसकी वजह यह है कि चंडीगढ़ में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बिगड़ती लाइफ स्टाइल के कारण तेजी से बढ़ रही है। यहां पर 100 में 14 लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।

प्रो. सविता:
कोरोना के कारण पूरा नहीं हुआ जिरियाट्रिक सेंटर का सपना...

पीजीआई में मैंने बतौर रेजिडेंट डॉक्टर जॉइन किया था। करीब 40 साल के बाद मैं इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट से बतौर हेड ऑफ दी डिपार्टमेंट रिटायर हुईं। यह मेरे लिए गर्व की बात है। मुझे जिरियाट्रिक सेंटर को स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन कोरोना के चलते यह प्रोजेक्ट रुक गया।

मेरा पीजीआई में अपने डिपार्टमेंट हाईपरटेंशन पर ज्यादा काम रहा। चंडीगढ़ के लोगों का लाइफ स्टाइल और शहरों की तुलना में थोड़ा अलग है। यही वजह है कि यहां पर बीपी के मरीज ज्यादा हैं। मेरी यही सलाह है कि सैर करें और लाइफ स्टाइल सुधार लें। लिकर, धूम्रपान न करें तो बीपी पर काबू पा सकते हैं।

प्रो. राकेश कोछड़ :एसिड पीकर आई लड़की की फूड पाइप नष्ट हो गई थी, जान बचा सके क्योंकि वह वक्त पर पीजीआई आई

जुलाई 1979 में पीजीआई जॉइन किया। मेरा सारा वक्त एसिड पीकर आने वाले युवाओं या अन्य आयुवर्ग को ठीक करने में गुजरा। मैं कई दफा भावुक भी हुआ। एक बार एक लड़की को इलाज के लिए पीजीआई लाया गया। लड़की की फूड पाइप डैमेज हो गई थी। दरअसल, भाई-बहन के बीच बहस हो गई थी तो लड़की ने नाराज होकर अमोनिया फास्फेट पी लिया था।

अच्छी बात यह थी कि बच्ची जल्दी इलाज के लिए आ गई। उसका समय पर इलाज किया गया और वह ठीक हो गई। एक बार 20 साल का बच्चा पीलिया की शिकायत के साथ आया। जब उसके टेस्ट करवाए तो उसका लीवर काफी हद तक डैमेज हो चुका था। मेरे चेंबर में उसके चाचा खड़े थे। उन्होंने कहा कि यह शराब पीता था। मैं हैरान रह गया कि 20 साल का बच्चा इतनी शराब पी गया कि उसका लीवर फेल हो गया।

मैंने उस बच्चे के चाचा से कहा कि इसके पिता कहां हैं तो पता चला कि वे बाहर बैठे हैं। वे गांव के सरपंच थे। मैंने उन्हें बुलाया। बच्चे के पिता ने बताया कि वे रोज शराब पीते थे, जब उनका बच्चा 12 साल का था तो शौक-शौक में कह देते थे आजा काका-काका दो-दो पेग ला लइये...। आठ साल से लगातार बच्चा पिता के साथ शराब पी रहा था। मैं हैरान रह गया। कुछ समय तक उसका इलाज चला और वह बच्चा नहीं बच पाया। उस समय मैं भावुक हुआ और आंखें नम हो गईं। लोग यह कहते हैं कि दो पैग शराब मेडिसिन के समान है। मेरी सलाह है कि शराब न पीना ही बेहतर है।

450 से अधिक पेपर प्रकाशित हुए...
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी में मेरे 450 से अधिक पेपर पब्लिश हुए हैं। अपने काम से संतुष्ट हूं। मोहम्मद रफी के गीत सुनना पसंद है। इसके अलावा मीनिंगफुल पंजाबी फिल्में देखते हैं। क्रिकेट खेलने का नहीं, देखने का शौक है। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट रहते हुए कई डॉक्टर तैयार किए जो आज जिपमर हॉस्पिटल और पुडुचेरी में मरीजों का बेहतर इलाज कर रहे हैं।

श्रीनगर के सरकारी हॉस्पिटल में भी यहां पर तैयार डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। आपका शरीर तभी स्वस्थ रहता है जब आपका पेट ठीक हाे। इसके लिए आपको रोजाना दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए। एक्सरसाइज करनी चाहिए। समय पर खाना खाना चाहिए। वहीं, समय पर सोना और समय पर उठना चाहिए।



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फाइल फोटो


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