मंदिर में शादी करने के बाद सुरक्षा लेने पहुंचे एक प्रेमी जोड़े की याचिका पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि अगर कोई लड़का-लड़की मंदिर,गुरुद्वारे, मस्जिद या किसी अन्य धार्मिक स्थल पर शादी करवाने जाता है तो उसे अपने ओरिजनल एज प्रूफ दिखाने होंगे न कि एफिडेविट। हाईकोर्ट ने कहा कि एफिडेविट को उम्र का प्रूफ नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने चाइल्ड मैरिज को रोकने के लिए इस संबंध में सख्त आदेश दिए हैं। दरअसल, कई बार लड़का-लड़की शादी करने के लिए धार्मिक स्थलों पर जाते हैं तो अपनी उम्र को छुपाने के लिए एफिडेविट दे देते हैं जिसमें खुद को बालिग दिखाया होता है। इस केस में भी ऐसा ही हुआ था। इस केस में लड़की नाबालिग थी और जिस मंदिर में उनकी शादी हुई वहां के पंडित ने बिना वैलिड प्रूफ चेक किए उनकी शादी करवा दी जबकि लड़की की उम्र 18 साल से कम थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शादी के लिए लड़का-लड़की को कोई आईडी प्रूफ जैसे आधार कार्ड, वोटर कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट या फिर दसवीं का सर्टिफिकेट दिखाना होगा। अगर वे एफिडेविट देते हैं तो वह मान्य नहीं होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि एफिडेविट को एज का प्रूफ तभी माना जाएगा जब लड़का-लड़की के पेरेंट्स खुद मौजूद होकर एफिडेविट देंगे।
धार्मिक स्थलों को एसएचओ को दिखाना होगा अपना रजिस्टर
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में निर्देश दिए कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी मंदिरों के पुजारी/पंडित, मस्जिदों के काजी या मौलवी, गुरुद्वारों के ग्रंथी और चर्च के पादरी को अपने एरिया के एसएचओ को हर तीन महीने बाद अपने यहां करवाई गई शादियों का रिकॉर्ड देना होगा। एसएचओ को भी उन सभी मामलों की पूरी इंक्वायरी करनी होगी। अगर कहीं चाइल्ड मैरिज से जुड़ा मामला पता चलता होगा तो एसएचओ को तुरंत कार्रवाई करनी होगी।
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