Wednesday, 30 September 2020

ऐसा प्यूप्लोमीटर जो कुछ सेकेंड में बता देगा-आंख की पुतली में कितनी हरकत

(ननु जोगिंदर सिंह) जब कोई मरीज अस्पताल में बेहोशी की हालत में आता है तो डॉक्टर उसकी आंखों में लाइट मारते हैं। देखते हैं कि आंखों में मौजूद पुतली में हरकत है या नहीं। कभी-कभी आंख में लाइट मारने पर पुतली की हरकत को समझने के लिए इंतजार करना पड़ता है। लेकिन अब यह इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआईईटी) ने एक ऐसा प्यूप्लोमीटर बनाया है जो बता देगा कि इंसान में कितनी हरकत हुई है। वह मृत है या जिंदा है। इसके लिए आम अस्पतालों में टॉर्च का उपयोग किया जाता है।

250 मरीजों पर किया परीक्षण...
यूआईईटी से प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. अजय मित्तल, प्रो. नवीन अग्रवाल, प्रोजेक्ट एसोसिएट परमिंदर सिंह और विजय पाल सिंह ने इसे करीब एक साल की मेहनत से तैयार किया है। पीजीआई के एनिस्थिसिया डिपार्टमेंट के हेड प्रो. जेडी पुरी और डॉ. नीरू साहनी की टीम करीब 250 मरीजों पर प्यूप्लोमीटर का परीक्षण कर चुकी है।

सजेशन के अनुसार इसमें सुधार किए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में स्टूडेंट अनुज भी शामिल थे। प्यूप्लोमीटर समेत डिजाइन एंड इनोवेशन सेंटर में तैयार किए गए कई प्रोजेक्ट्स व प्रोटोटाइप को बेचने के लिए यूआईईटी ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट मांगे हैं।

लाखों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं...
यूआईईटी का प्यूपिलोमीटर ग्राफिक्स के जरिए बता देगा कि पुतली में कितनी हरकत है। पुतली की पोजिशन जानने के लिए अस्पतालों को लाखों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। कुछ हजार रुपए में उन्हें यह सुविधा मिल जाएगी। पीजीआई की मांग पर यह प्यूप्लोमीटर तैयार किया गया है।

बाजार में उपलब्ध प्यूप्लोमीटर से सस्ता...
यूआईईटी ने जो प्यूप्लोमीटर तैयार किया है, वह कंप्यूटर बेस हैंड हेल्ड इनफ्रारेड डिजिटल वीडियो डिवाइस है। इससे प्यूपलरी साइज और रिएक्टिविटी को पढ़ना संभव होगा। गंभीर मरीजों और न्यूरॉल इंजरीज में ये सहायक होगा। ये लगाने के बाद ग्राफिक्स के जरिए रिएक्टिविटी का लेवल बता देता है।

अब तक बाजार में उपलब्ध प्यूप्लोमीटर बहुत महंगे आते हैं और सभी अस्पतालों में इनका उपयोग मुश्किल है। आमतौर पर न्यूरोलॉजी वाले सेक्शन में इनका उपयोग होता है। इमरजेंसी में भी डॉक्टरों काे इस सुविधा की जरूरत है।

क्या होती है पुतली...
पुतली आंख में मौजूद एक छेद की तरह होता है। यह सेंटर में होता है और लाइट को रेटिना से टकराने देता है। ये आमतौर पर काला ही दिखता है।

ये तकनीकें भी बेचेगी पीयू
ट्रैफिक लाइट्स के लिए बनाया गया सिस्टम, जिसमें एंबुलेंस नहीं रुकेगी
दांतों के लिए सस्ती ट्रांसपेरेंट ब्रेसेल्स मैटीरियल की तकनीक
हाथ की पकड़ को बताने वाला दस्ताना



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